शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

AMER FORT - जाने आमेर के इस किले का इतिहास इसे क्यू खास बनाता है।

                                    आमेर का किला एक छोटे से शहर आमेर जो की लगभग 4 हजार किलोमीटर के दाएरे मे है जो की  जयपुर से लगभग 11 किलोंटर की दूरी पर है । पहाड़ पर इस किले की जयपुर के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान है और यहा आने वाले सैलानियों  के लिए एक अलग ही आकर्षण है । आमेर शहर मीनास समुदाय के लोगों  द्वारा बनाया गया था जो की बाद में राजा मान सिंह के राज्य में तब्दील हुआ। आमेर किले की बाहरी और अंदरूनी बनावट हिन्दू कला का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है । यहा आने के लिए अनेक द्वार एवं रास्ते है । आमेर का किला पानी के लिए मुख्य रूप से माओता झील पर निर्भर है।

                                      यदि आप यहाँ घूमने जाए तो किले की दीवारों में आपको बढ़िया कारीगरी दिखेगी जो की लाल चुने के पत्थरों से बनाई गई है । कई जगह आपको चुने के पत्थरों के साथ संगमरमर की मीनारें भी देखने को मिलेगी । यह किला 4 मालों में बना है। यहा पर दीवान ए आम एक बड़ा सा कमरा  जो की भवन के बराबर है, आम जनता की नुमाइशों और गुज़ारिशों के लिए बनाया गया था जहा राजा से जनता अपनी फरियादें पूरी करने आते थे। यहा दीवान ए खास जो की कुछ करीबी लोगों के लिए बनवाए गए थे... ऐसे ही शीशा महल, सुख निवास जहा पर ठंडी हवा आने के लिए इसके दोनों तरफ पनि के दो तालाब बनवाए गए थे। आमेर के किले को आमेर के महल से भी जाना जाता है। यह महल राजपूत महाराजाओं और उनके शाही परिवारों के रहने के लिए बनवाया गया था । यदि आप इसके गणेश द्वार जो की मुख्य द्वार है , से अंदर आयें तो आपको सिला देवी का मंदिर दिखेगा, यह मंदिर उन्होने तब बनवाया था जब उन्होने जेस्सोर के राजा को हराया था। जेस्सोर अभी बांग्लादेश में है ।

                                          यह महल जायगढ़ के किले के साथ चील के टीले के ठीक ऊपर है । यह महल और जायगढ़ का किला एक ही परिसर मे आते है । दोनों एक दूसरे से भूमिगत जुड़े हुए है। यह इसलिए बनवाया गया था ताकि खतरे के समय परिवार के लोग आमेर के महल से जाइगढ़ के किले पर रक्षात्मक रूप से जा सके । 

                                        कछवाहा समूह  से पहले आमेर एक छोटा सा शहर था जो की अम्बे माता के लिए बनवाया गया था। अम्बे माता जिनको कछवाहा के लोग गट्टा रानी के नाम से जानते थे। यह महल राजा मान सिंह के द्वारा बनवाया गया था और महल जैसा बनवाया गया था आज भी वैसे ही अपने मजबूत दीवारों पर खड़ा है। यह महल मुख्या  रूप से राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था जिसे की बाद में उनके वंशज राजा जय सिंह 1 द्वारा विकसित करवाया और विस्तार से महल के क्षेत्रों को बढ़ाया गया । उसके बाद इस महल को बाद के राजाओं ने और अच्छी तरह से बनवाया और उसके बाद कछवाहा समूह के लोगों ने जयपुर की तरफ पलायन करना चालू कर दिया।

                                      आमेर का शहर जो की एक प्राचीन शहर है, आमेर किले की तरफ जाने के लिए आपको आमेर शहर से गुज़र कर ही जाना होगा। इस शहर में 18 बड़े मंदिर, 3 जैन मंदिर और 3 मस्जिद है । आमेर में 100 से ज्यादा हाथी है जिनमे से कुछ कुपोषण के कारण संघर्ष कर रहें है। आमेर डेव्लपमेंट एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी ने आमेर पैलेस के लिए 40 करोड़ भी जुटाएँ है जिसे की यहा के पर्यावरण की रक्षा के लिए खर्च किया जा रहा है। एक बार तो यहा पर एक फिल्म की शूटिंग भी रुकवाई जा चुकी है क्योकि शूटिंग के लिए यहा पर एक 500 साल पुरानी कलाकृति जो की चुने पत्थर से बनी हुई थी उसमे छेद कर दिया गया था जिससे की पूरी कलाकृति नष्ट हो गई । हाइ कोर्ट को इस नुकसान के लिए बीच में आना पड़ा और कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी भाषा में समझाइश देते हुए कहा की आप पैसे की लालच में अन्य अंधे होकर इस तरह से इतिहास को तबाह ना करें। 

                                        कुछ लोगों ने यहाँ पर हाथियों के बचाव के लिए भी संगठन  बनाया है जो की हाथियों को ठीक तरह से रहने में मदद कर रहे है। यहाँ पर एक गांव हाथी  गांव के नाम  से जाना जाता है जहां पर बीमार, बूढ़े  और चोटिल हाथियों को के रख रखाव के लिए PETA आर्गेनाइजेशन काम कर रहा है खैर भारत ऐसे और भी अनेक इतिहास आज ज़िंदा है जिनको जानकार आप आश्चर्य चकित हो सकते है।  मेरा यह मानना है की भारत के लोग अगर पहले भारत के बारे में जाने और पहले भारत घूमे तो शायद यहाँ के पर्यटन को दुनिया में एक अलग ही जगह मिल सकती है। यह हो सकता है की बहुत सी चीज़े मैं  आपको ना बता पाउ, घूमिये इस महल को और महसूस कीजिये इतिहास को जो की भारत का गौरव और भी  बढ़ता है। 










गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

HIMACHAL PARADESH - TOP PLACES TO VISIT IN HIMACHAL PRADESH IN HINDI

                              यदि आपको बर्फ पसंद है और कश्मीर के बाद किसी ठंडी जगह का नाम ले तो वो है हिमाचल प्रदेश। आप इसके नाम से ही अंदाज़ा लगा ले हिम मतलब बर्फ, जो की बहुत ही सही नाम है इस जगह का।  हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत के पश्चिम की ओर बसा हुआ है।  इसके चारो तरफ आपको खूबसूरत पर्वत दिखाई देंगे। हिमाचल प्रदेश में जिस जगह का सब से पहले नाम घूमने के लिए आता है वो है शिमला, जो की इस प्रदेश की राजधानी भी है। लोग यहाँ गर्मी से रहत पाने और अपने परिवारों के साथ घूमने आते है। हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए ऐसी बहुत सी जगह है जहां आप जाना जरूर पसंद करेंगे जैसे की कुल्लू , मनाली , शिमला , चम्बा , धर्मशाला , डलहौज़ी , काँगड़ा , कसौली , हमीरपुर, परवानु  , सोलन , परागपुर , सिरमौर , तारागढ़ , ऊना और भी बहुत सी जगह है..... आइए अब इनके बारे में और करीब से जाने।

                           कुल्लू हिमाचल प्रदेश का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है, इसका नाम अपने जब भी सुना होगा मनाली के साथ ही सुना होगा। कुल्लू ब्यास नदी के किनारे में बसा हुआ है।  इसके पहले ये कुलंतपिथ के नाम से भी जाना जाता था, कुल्लू  को मंदिरों के लिए जाना जाता है।  यहाँ लूग घाटी का नाम अपने बहुत सुना होगा जहां कांट्रेक्टर जंगलों से टिम्बर का व्यापर करते है।  यहाँ आपके घूमने के लिए बशेश्वर महादेव का मंदिर, सुल्तानपुर महल, पारवती घाटी , रॉयसन, रघुनाथ जी मंदिर, बिजली महादेव मंदिर , शोयीआ , करैंन, बथद , जगतसुख आदि इसके आलावा आप पहाड़ पर ट्रैकिंग, स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग, और कुछ साहसी खेलो का भी आनंद उठा सकते है।

                           मनाली जो की 6726 ft की उचाई पर बसा हुआ है, यहाँ आपको बरफ से ढके हुए पहाड़ मिलेंगे, बरफ के पहाड़ों के बिच रहना सिर्फ सोचने से ही आप के मन में एक आकर्षण की भावना जाग उठती  है।  यहाँ पर आपको शुद्ध वायु और ऑक्सीजन मिलता है जो की आपकी सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है।  यदि मनाली घूमने जाएँ तो ये जगह जरूर घूमें ब्यास नदी , रोहतांग पास , सोलंग घाटी , जोगिनि झरना , ब्यास कुंड , हडिम्बा मंदिर, जाना, वन विहार नेशनल पार्क , पिन घाटी नेशनल पार्क , रहला , हिम घाटी।

                       आइये अब आते है शिमला, शिमला अंग्रेज़ों का सबसे पसन्दित शहर था, जब वे भारत पर राज कर रहे तब वे गर्मियों में शिमला में ही अपना आशियाना बनाते थे, जहां आपको झील और हरे हरे मैदान दिखेंगे, शिमला में सबसे ज्यादा लोग ठण्डियों में जाना पसंद करते है जब यहाँ तापमान 0 डिग्री होता है और आपको पुरे पहाड़ बर्फ से ढंके हुए दीखते है। यहाँ पर घूमने के लिए आपको जाखू पहाड़ ,  शिमला स्टेट म्यूजियम, द रिज , समर हिल , दारनघाटी सेंचुरी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी, नालदेहरा और शैली की छोटी , चाडविक फॉल , कुफरी , क्राइस्ट चर्च और वाइल्ड फ्लावर हाल जैसे अनेक साइट सीन मिलेंगे।

                   यदि आप प्रकृति से प्रेम है तो आप चम्बा जरूर जाना चाहेंगे, जो की रवि नदी केकिनारे है और समुद्र स्तर से लगभग 900m की उचाई पर है। यहाँ घूमने के लये खज्जार झील , चमेरा झील , कालाटोप वाइल्डलाइफ सेंचुरी , भूरी सिंह म्यूजियम, रंग महल , महाराजा महल , अखण्ड चंडी महल , मणिमहेश झील, चम्बा सेंट्रल पार्क एवं चर्च ऑफ़  स्कॉटलैंड है।

                      धर्मशाला,  इस जगह को भारत का स्कॉटलैंड भी कहते है, क्यूकी धर्मशाला तीनों तरफ से बर्फ की पहाड़ियों के बीच में है और एक साइड से घाटी ने इसे घेर रखा है। पर्वतों की उचाई यहा 4000 म तक है, आप उन्हे यहा हर जगह से देख सकते है। यहा आपको हर जगह देवदार के वृक्ष दिखाई देंगे जो की पहाड़ो पर बर्फ में जमे हुए कुल्फी जैसे दिखते है। यदि आप धर्मशाला जा रहे है तो ये जगह जरूर घूमें TRIUND, डाल झील, धरमकोट, भागसू झरना, भगसुनाग मंदिर, मसरूर रॉक कट मंदिर, टी गार्डेन और मकलोरगंज।



हिमांचल में और बहुत सी जगह है जिसके बारे मे मैं आपको अपने अगले ब्लॉग में बताता हूँ। यदि ये ब्लॉग अच्छा लगे तो कमेंट जरूरु करे।







  

HAJI ALI DARGAH - पढ़े क्यू जाए पीर हाजी अली शाह जी की दरगाह

हाजी अली दरगाह बॉम्बे के दक्षिण (साउथ) साइड है। शहर के बिकुल दिल में, यह दरगाह बॉम्बे का सबसे मशहूर दरगाह है।  एक अति सुंदर इस्लामिक आर्किटेक्चर है जो की भारतीय है।  हाजी अली दरगाह 1431 में एक मुस्लिम सौदागर पीर हाजी अली शाह की याद में बनवाई गई। जो लोग उनसे जुड़े हुए थे उन्होंने ऐसा बताया था की, पीर ने एक बार एक गरीब औरत को सड़क किनारे एक खाली पतीले के साथ रोते हुए देखा।  जब पीर ने उससे उसके रोने और दुखी होने का कारन पूछा तो, उस औरत ने सिसकते हुए बताया, बाजार से जो तेल वह खरीद कर जा रही थी वो गिर गया और जब वो घर जाएगी  तो उसका पति उसे पिटेगा। पीर ने उससे कहा की वह उसे वो जगह लेकर जाये जहां उसका तेल गिरा। वह उस मिट्टी में पीर ने जैसे ही हाथ मारा उसका पतीले में तेल वापस भर गया और वह गरीब औरत खुश होकर अपने घर चले गई।

 कुछ दिनों बाद पीर हाजी अली शाह बुखारी को कुछ अजीब और परेशान करने वाले सपने आने लगे की उसने धरती को इस हरकत से चोट पहुंचाई है और पश्चाताप मैं वे जल्द ही बीमार पड़ गए और अपने अनुयायियों को आदेश दिया की जब वह मरे उसके शारीर को ताबूत सहित अरब सागर में बहा दें।  हाजी अली जी के अंतिम शण अपने हज के दौरान मक्का जाते समय थे  और जैसा उन्होंने कहा था उनके ताबूत को अरब सागर में बहाया गया परन्तु चमत्कार ऐसा हुआ की पीर बाबा की ताबूत बॉम्बे वर्ली के समुद्र के पथरीले किनारे में आकर फस गया और फिर उनकी याद में वहां दरगाह बनाया गया।

गुरुवार और शुक्रवार को इस दरगाह में बहुत से लोग जो की जात पात से दूर इस दरगाह अपनी मन्नत मांगने और पूरी होने पर शुक्रियां के भाव से यहाँ पर आते है।  यहाँ पीर बाबा का आशीर्वाद हर किसी को सफल करता है। शुक्रवार को यहाँ क़व्वाली से पूरा दरगाह झूम उठता है। यह  दरगाह यहाँ छोटे से टापू जो की तट से 500m  की  दुरी पर है।  इस दरगाह में पहुंचने के लिए समुद्र की लहरों पर निर्भर है।  जब लहरें बड़ी और गहरी होती होती है दरगाह का रास्ता बंद कर दिया जाता है।  रस्ते के दोनों तरफ समंदर का पानी अपने आप में चमत्कार से काम नहीं।

यह दरगाह सफ़ेद मार्बल से बानी हुई है।  दरगाह को लाल और हरी चादर से ढांका गया है जिसे चंडी के फ्रेम से सजाया गया और और मार्बल के पिल्लरों के बिच रख गया है। यहाँ मुख्या कमरे मे मार्बल के पिल्लरों में बड़ी ही खूबसूरत तरीके से कांच की नक्काशी की गई है।  नीले, हरे, पिले रंग के कांच को ऐसे सजाया गया है की वे अरबी में अल्लाह के 99 नाम को दर्शाते है। जैसा की मुस्लिम परंपरा में है यहाँ पर मर्द और औरतों को उनकी परंपरा का आदर करने की सख्त हिदायत दी जाती है।  जब यहाँ पर लहरें बड़ी और गहरी होती है दरगाह और कुछ नहीं बल्कि एक द्वीप की तरह दिखती है।

यह एक 600 साल पुराणी दरगाह है, जिसका रख रखाव रखना बहुत ही मुशिकल है पर यह चलता रहता है।  यहाँ हर हफ्ते लगभग 80,000 श्रद्धालु आते है। यहाँ रखरखाव का काम 1960  से 1964 से  गति में हो रहा था। वर्ष 2008 में दरगाह का  फिर से चालू हुआ।  दरगाह को फिर से मार्बल से सजाया गया और यह मार्बल मकराना, राजस्थान से लाया गया जो की ठीक वो ही जगह है जहां से ताजमहल के लिए मार्बल लाया गया था।  

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KULDHARA RAJASTHAN - KNOW WHAT PARANORMAL SOCIETY OF DELHI EXPERIENCED HERE

                              कुलधरा जो की राजस्थान में है इसकी की कहानी  ही अजीब और प्रेरणादायक है जो की मैंने आजतक सुनी है।  जैसलमेर से लगभग 15km एक गॉव है जिसका नाम है कुलधरा। कुलधरा में एक समय 84 गॉव हुआ करते थे।यह गांव 1291 में पालीवाल ब्राम्हणों द्वारा बनाया गया था।  पालीवाल ब्राम्हण उस समय बड़े ही समृद्ध थे और अपनी अनाज उगाने की योग्यता में माहिर थे।  वे बंजर जमीन और रेगिस्तान में भी अनाज उगाने की योग्यता रखते थे। पालीवाल ब्राम्हण व्यापर और खेती के बारे में बहुत सी चीज़े जानते थे।  परन्तु ऐसा क्या हुआ की एक दिन 1825  लोग और 83 से ज्यादा गांव एक हीं में कही अंधकार में खो गए।

                                 कुछ लोग बताते है की राजा सलीम सिंह जो की उस समय एक बड़ा ही शैतान और निर्दयी राजा था, गांव के मुखिया की लड़की से प्रेम करने लगा था और उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता था।  उसने गांव वालो को बहुत डराया और धमकी भी दी यदि वे लोग उस लड़की के साथ शादी न करवाई तो।  इसके बाद पालीवाल ब्राम्हण और गांव के लोग उस जगह को छोड़ कर चले गए और उस गांव और राजा को श्राप दिया की यहाँ पर अब कभी भी कोई अपना घर नहीं बसा पाएगा।  और उस दिन से आज तक ये जमीन बंजर है और यहाँ सैलानियों के अलावा कोई नहीं आता।  

                            इसके अलावा लोग ये भी कहते है की  राजा सलीम सिंह ने गांव वालो पर इतना लगान तय कर रखा था की गांव वाले उसे देने में बिलकुल असमर्थ थे।  उनके लिए वह रहना दूभर हो चूका था इसलिए शायद वे लोग हरी भरी जगह चले गए।  कहानिया तो ऐसी ही सुनने को मिलती है चाहे आप कही भी जाएँ, पर जब तक उसमे इश्क़ , क्रूरता आदि जैसे मसाले नहीं होते उन्हें सुनने में बिलकुल भी मज़ा नहीं आता। इस गांव  में आप अभी भी बहुत से ऐसे घर देखेंगे जो लगभग 300 साल पुराने है।  

                                   अभी अभी की बात है पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ़ दिल्ली कुलधरा पहुंचीं और उन्होंने जाहिर किया की यहाँ पर कुछ अजीब सी चीज़े है जो की बहुत असाधारण है।  ये सोसाइटी  यहाँ पर कुछ पढ़ने और समझने के लिए आई थी। कुलधरा गांव एक डरावनी जगह है। इस सोसाइटी के लगभग 18 लोगों ने यहाँ और कुछ 10 -12 लोगो के साथ यहाँ रात बितायी। वे इस गांव के अंदर कुछ 12 घंटे ठहरे और कुछ अजीब सा महसूस किया।  इस बारह सदयसिय टीम के पास कुछ अनोखे मशीन और यन्त्र थे जो की यहाँ कुछ चीज़ो को कैद करने में समर्थ रहे। यहाँ उन्होंने कई बार कुछ घूमती हुई परछाइयाँ और किसी की चिल्लाने की आवाज़ जैसे और भी चीज़ो का अनुभव किया।  एक सदस्य ने तो ये भी कहा की यहाँ पर किसीने उसे पीठ पीछे से छुआ, जब उसने पीछे मुड़ कर देखा तब वहां पर कोई भी  नहीं था। 

                                        टीम ने कुछ यंत्रों की सहायता से ये भी जानने की कोशिश की कि यहाँ किनकी आत्माएं है  और उनसे कुछ सवाल भी किये और यहाँ तक उनका नाम भी जाना। यहाँ पर अलग अलग जगह पर अलग अलग पर नोट किया गया।  एक जगह पारा 41  डिग्री सेल्सियस और उससे थोड़ा और पैदल चल कर आगे बढे तो पारा  31 डिग्री पर घट कर आगया। टीम ने कुछ लेज़र किरणों का सहारा लेकर कुछ परछाइयाँ भी देखी। इस टीम का मुख्य लक्ष्य ऐसी जगहों पर घूम कर लोगो के मन से डर हटाने का है। 

















    

बुधवार, 27 अप्रैल 2016

BHANGARH FORT : KNOW WHAT'S IN BHANGARH FORT THAT MAKES IT HAUNTED

                                       आप में से कितने लोग भूतों पर विश्वास करते है? क्या वो वाकई में होते है ? क्या उन्हें महसूस किया जा सकता है?? जो इन चीज़ो में विश्वास  हो शायद उनके लिए ये साधारण बात हो पर जो भूतों में विश्वास नहीं रखे शायद उनके लिए ये मानना बहुत ही मुश्किल हो।  भानगढ़ दिल्ली से लगभग 300 km की दुरी पर है। फिर भी यदि आप यहाँ के लिए सूबे निकले तो शायद दोपहर तक पहुचें।  आपको यहाँ  पहुंचते ही एक बोर्ड दिखाई देगा जिसमे लिखा है की यहाँ सूर्यास्त के बाद प्रवेश करना सख्त मना है।  गुडगाँव को पार करने के बाद भिवाड़ी के आगे राजस्थान का एक जिला है अलवार।





                                        भानगढ़ किला सरिस्का रिज़र्व की सिमा अरावली रेंज के अलवर जिले में बसा हुआ है।  इसके सबसे नज़दीक गांव गोलाकाबास है।  पुरे किले के चारो तरफ आप पेड़ और पौधे देखेंगे, कुछ छोटे छोटे तालाब भी आपको यहाँ पर आसानी से दिख जाएंगे।  इस किले का पहुंच मार्ग भी पक्का नहीं है।  यहाँ आने के लिए अनेक दरवाज़ें है  जैसे की लाहोरी गेट, अजमेरी गेट, फुलबारी गेट, दिल्ली गेट, यहाँ मुख्य द्वार से घुसते ही अनेक हिन्दू मंदिर को देखा जा सकता है जैसे की हनुमान जी का मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गणेश जी का मंदिर , केशव राय का मंदिर। यहाँ पर एक  संत की भी हवेली हुआ करती थी जो की पुरोहित जी की हवेली के नाम से भी जानी जाती है। यहाँ पर नचन की हवेली (Dancer 's Palace) और जौहरी बाजार (Market  Place ) भी आपको देखने को मिलेगी। 

                                       यह किला 17 सेंचुरी में राजा मान सिंह के द्वारा बनाया गया था।  राजा अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्होंने यह किला अपने पोते माधो सिंह के लिए  था।  माधो सिंह ने इस किले का नाम अपने दादा मान सिंह के ऊपर रखा।  भानगढ़ किले के आस पास एक अजीब सी तन्हाई है। आप अगर वह जाए तो आपको कुछ अलग सा महसूस होगा।  भूतों के दर से लोगो ने अपने घर किले की सिमा रेखा से बाहर बन रखा है।  आप अगर यहाँ जाएँ तो आपको आसानी से गॉव वाले मिलेंगे जो आपको इस किले के बारे में बताएंगे।

                                        भानगढ़ किले से दो ऐसे शख्सियत  जुड़े है जो की इसे डरावना बनाते है । एक शख्सियत जो की एक साधू है जिंका नाम बाबा बलनाथ है जो की किले के अंतर्गत ही कहीं रहते थे । कहा जाता है की इन्हीं ने भानगढ़ को श्राप दिया था की यहाँ जो भी घर उसके घर से बड़ा होगा या जिसकी परचई  मेरे घर पर पड़ेगी वह बर्बाद हो जाएगा। हो सकता है यही कारण हो जिससे की भानगढ़ आज एक श्रापित किला है।

                                         वहीं कई लोग  इसके दूसरे दावे भी करते है।  दूसरे शख्सियत जो भानगढ़ इस हालत के जिम्मेंदार हो सकते है वो है एक तांत्रिक जो भानगढ़ की रानी रत्नावती से प्रेम करते थे।  भानगढ़ की रानी बहुत  खूबसूरत थी,  दूसरे  कई राज्यों के राजा उनसे विवाह करने के लिए हमेशा महल अपना  प्रस्ताव लेकर आया करते थे।  एक बार रानी रत्नावती अपनी किशोरावस्था में अपनी कुछ सहेलियों के साथ मेले में गई,  उन्हें इत्र बड़ा ही पसंद आया तांत्रिक ने रानी को इत्र लेते हुए देखा तो उस इत्र को अपने काले जादू से बदलकर एक जादुई इत्र बना दिया जिससे की रानी उसकी तरफ जाये। परन्तु हुआ  यह की रानी ने तांत्रिक को इत्र को बदलते हुए देख लिया और जब तांत्रिक ने उसे इस्तेमाल करने को कहा रानी ने वह इत्र एक बड़े पत्थर पर फ़ेंक दिया, जिससे हुआ ये की पत्थर तांत्रिक के तरफ आकर्षित हो गया और तांत्रिक उसके निचे दब कर मर गया। मरने से पहले तांत्रिक ने भानगढ़ को श्राप दिया की भानगढ़ नष्ट हो जाएगा और यहाँ कोई भी जीवित नहीं बच पाएगा और उसके कुछ ही समय बाद भानगढ़ में कोई भी नहीं बचा और शायद ये भी हो सकता है की  श्राप के वजह से ही भानगढ़ में आत्मा भटकती हो। 

                                 गांव वालो का मानना है की तांत्रिक और रानी की आत्मा आज भी भानगढ़ के किले में भटकती है। कुछ गांव वालो ने यह भी बताया की उन्हें रात के समय किले से कुछ आवाज़ें सुनाई देती है।  कुछ का यह भी मानना है की रानी की आत्मा को तांत्रिक ने कैद करके रखा है।खैर यहाँ जो भी हो उसे महसूस के  लिए आपको यहाँ पर आना पड़ेगा।  एक बार जरूर जाइये और घूमिये एक भूतिया किले में। 














मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

TATKAL TICKET - HOW TO BOOK TATKAL TICKET FAST

तत्काल टिकिट भारतीय रेल्वे द्वारा एक ऐसी  सेवा है जिससे किसी भी व्यक्ति को अगर एक दिन पहले अति आवश्यक कही जाना पड़ता है तो वह तत्काल टिकट रेलवे रिजर्वेशन के द्वारा करवा आरक्षण करवा सकता है। परन्तु TATKAL TICKET आज के समय में एक बिज़नेस से काम नहीं है। आपने ऐसा कई बार सुना होगा की लोग एजेंट और टिकट ब्रोकर से अपनी टिकट कन्फर्म करवाते है जो की बिलकुल गलत है। आम आदमी को अगर टिकट करवाना होता है तो उसे सुबह से ही लाइन में लगना पड़ता है, फिर भी उसे कन्फर्म टिकट मिले ये जरुरी नहीं है। रेलवे की लाख कोशिशों के बाद भी कुछ ब्रोकर स्टेशन में अपनी सेटिंग करके अपना नंबर पहले ही लगा लेते है, फिर चाहे आप 4 घंटे पहले ही क्यों न आये हो।





हर ट्रेन में कुछ सीटें तत्काल टिकटों के लिए आरक्षित की जाती है, परन्तु होता यह है की ये सीटें आप के एरिया के अलावा पुरे देश के लिए उतनी ही सीटें होती है। यही कारण है की यह टिकिटें जल्दी ही वेटिंग लिस्ट पर आ जाती है।  आजकल तत्काल का टाइम भी रेलवे ने चेंज कर दिया है अब तत्काल टिकटें 3A  और 2A  के लिए सुबह 10 बजे खुल जाती है, और स्लीपर क्लास के लिए टाइम 11 बजे है।  यह समय परिवर्तन रेलवे ने आम आदमी को देखते हुए ही किया है।  खासकर कर के गर्मी की छुट्टियों में जब लोगो को बाहर जाना होता है तो वे तत्काल टिकट पर ही जाते है , क्योकि रिजर्वेशन हर ट्रैन के लिए 3 महीनों पहले ही खुल जाता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है की कुछ ट्रेनों में आसानी से जगह मिल जाती है पर वो ट्रैन जो रोज़ होती है उनमे जगह मिलना बहुत ही मुश्किल होता है।

तत्काल एजेंटों ने कन्फर्म टिकट का एक बिज़नेस शुरु कर दिया है जिसमे वह मनमानी रकम मांगते है कभी कभी तो वो टिकट के अमाउंट की दुगनी रकम भी मांगने लगते है।  रेलवे के नियम के हिसाब से अगर कोई ऐसा व्यक्ति पाया जाता है तो उसे रेलवे नियम के तहत सजा हो सकती है।  आजकल आपने यह भी सुना होगा की तत्काल टिकट ONLINE भी बन रही है, एजेंटों ने इसे भी नहीं छोड़ा जैसे ही तत्काल का समय  चालू होता है रेलवे का सिस्टम सर्वर डाउन की सुचना देना चालू कर देता है, और जब तक सर्वर आता है, टिकट पहले ही खत्म हो जाती है।

कुछ लोगों ने तो इसका सॉफ्टवेयर तक बना  लिया है जिससे वे तत्काल समय से पहले ही अपना टिकट बुक कर लेते है, जो की बहुत गलत है ऐसे लोगो को यह भली भाति समझना चाहिए की ये सेवा आम आदमी के लिए है अगर ये इसका गलत इस्तेमाल करते है तो लोगों में हमेशा गलत सन्देश जाता है रेलवे हमेशा से ही खिलाफ रहा है।  पर चाह के भी इन सारी चीज़ों को रेलवे रोकने में असमर्थ है।

यदि आपको  रेलवे टिकट से ऑनलाइन बनना है तो आप पहले IRCTC की वेबसाइट में जाकर अपने आपको रजिस्टर कीजिये , जिसमे आपको अपने irctc अकाउंट की जानकारी देनी होती है, आपको एक वैलिड ईमेल आइडी  उस फॉर्म में फीड करनी होगी और अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करना होगा।  रेलवे से आपको एक वेरीफाई मैसेज आएगा जो की आपको उस वेबसाइट में डालना होगा, फिर आपका यूजरनाम और पासवर्ड railway द्वारा दिया जाएगा जिसके द्वारा आप खुद अपनी आईडी से टिकट सेवा का लाभ उठा सकते है। टिकिट बूक करने से पहले आप ये अच्छी तरह जान ले की TICKET CANCELLATION और REFUND किन टिकिटों पर मिलता है।  यह भी ध्यान रखिए की यदि आप तत्काल टिकट बुक करते है तो वह कैंसिल नहीं हो सकती। अपनी स्वयं की आईडी से बनाई हुई टिकट आप दूसरे को नहीं दे सकते ना ही उस टिकट को आप बेच सकते है।  ऐसा करने पाए जाने पर आपको जुरमाना और सज़ा दोनों हो सकती है। 



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GOING KASHMIR??? KNOW WHERE TO GO IN KASHMIR


जम्मू कश्मीर को दुनिया का स्वर्ग भी कहा जाता है, क्योकि यहाँ पर पहाड़, नदी, बारिश, धुप, बरफ हर चीज़ दिखेगी। "जम्मू कश्मीर का मौसम और बॉम्बे का फैशन कभी चेंज होता है। ज्यादातर कश्मीर लोग अप्रैल - मई में जाना पसंद करते है। यहाँ पर आकर्षण की बहुत सी जगह है जैसे की गुलमर्ग, सोनमर्ग , पहलगाम आदि।  आप यहाँ फ्लाइट से या ट्रैन से भी पहुंच सकते है। कश्मीर पहुंचकर यदि आप अपनी स्वयं की कार किराए पर ले तो यह सबसे अच्छा होगा। इसके लिए आप अपने होटल या अगर आप हाउस बोट पर रह रहे है तो उसके मालिक से आसानी से करवा सकते है।  यदि आप ज्यादा लोग है तो आप श्रीनगर के टूरिस्ट बस भी ले सकते है।यहाँ पर आप हर जगह जवानों को खड़े पाएंगे। यहा पर लोग इतने अच्छे और साफ दिल के है ये आपको उनसे बात करके समझ आजाएगा। क्योकि इनकी पूरी कमाई सिर्फ यहा आए घूमने वालों से ही होती है। 





TOP PLACES TO VISIT IN KASHMIR

जम्मू कश्मीर में बहुत साइट सीन की जगह है।  आइये सबसे पहले जानते है सोनमर्ग के बारे में। सोनमर्ग श्रीनगर से लगभग 2  घंटों का रास्ता है जो की लद्दाख हाईवे पर है, यहा इतने सुंदर पहाड़ है जो की आपको हाइवे से ही दिख जाएंगे । आप यहा हाइकिंग के लिए भी जा सकते जैसा की विदेश से यहा आने वाले कई सैलानी करते है। यदि आप यहा जा रहे है तो पोनी राइड जरूर ले। यहा पर अक्सर फिल्मों की शूटिंग होती रहती है । इस जगह यदि आप अप्रैल के महीने मे जाएंगे तो आपको शायद स्नो फॉल भी देखने को मिल सकता है। बच्चे को यहा पर बहुत ही ज्यादा मज़ा आता है। इस बात का खयाल जरूर रखे की यहा पर आपको राइड लेनी हो या फोटो खिचवाना हो या फिर खाना खाना हो मोल भाव जरूर करे।

कश्मीर जाए और यदि गुलमार्ग आपने नहीं घूमा तो आपने बहुत कुछ छोड़ दिया। ये जगह स्की करने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह मानी जाती है। यहा पर आप गंडोला राइड जरूर ले और  यहाँ की वादियों को ऊपर से महसूस करे।  गंडोला दुनिया की सबसे लम्बी केबल ट्राली है। यदि आप को यहाँ पर LOC देखना है तो गाइड करना ना भूले जो की आपको आसानी से मिल जाएंगे वे आपको स्की करके LOC दिखाने लेजाते है।  वैसे यदि आप यहाँ के मुख्य द्वार पर पहुंचेंगे तो आपको अपनी स्वयं की कार छोड़कर यहाँ के यूनियन की कार लेनी पड़ेगी भले ही आप ना लेना चाहे फिर भी।  यहाँ पहुंचने से पहले आपको लॉन्ग रबर के बूट्स और गरम जैकेट्स लेना बहुत ही जरुरी है।  आप चाहे तो इन्हे ना भी ले पर आपकी गाड़ी वाला आपको यहाँ पर जरूर लेकर छोड़ेगा। यहाँ पर आपको दो गोंडोला राइड दिखेंगी एक 6500 ft और एक 13000 ft की यदि आप 13000 ft ऊपर जाते है तो आपको ऐसी बहुत सी चीज़े देखने को मिलेंगी जो आपने शायद ही देखी  हो।  

यदि आप गोल्फ के शौकीन है तो यहाँ आप जरूर जाना चाहेंगे।पहलगाम, यहाँ पहुंचने के लिए श्रीनगर से  आपको लगभाग 3 घंटो की जर्नी करनी पड़ेगी। यहाँ सैलानी बेताब वैली देखने को पहुंचते है। बेताब वैली का फिल्म बेताब से पड़ा है क्योंकि यहाँ बेताब फिल्म की शूटिंग हुई थी। यहाँ पहुंचने के लिए शार्ट कट और लॉन्ग कट दोनों ही है यदि आपको शार्ट कट से पहुंचना है तो आपको वह के किसी लोकल व्यक्ति  से रास्ता पूछना होगा क्योंकि आप जो गाइड करेंगे वो आपको लॉन्ग कट से ही लेकर जाएगा।  आपको यहाँ पर घोड़ो की सैर करने में शायद ही मज़ा आये क्योंकि आपको वैली देखने के लिए घोड़ो से ही जाना होता है।  और रास्ता ऐसा है की आप जमीं पर अपने पैर तक नहीं रख सकते। 

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10 BEST TIPS WHILE TRAVELLING IN INDIA - छुट्टियों या घूमने जाने के वक्त रखे इन बातों का खयाल


मई का महिना लगभग चालू होने वाला है, साथ ही चालू होने वाला है घूमने का और छुट्टियों में जाने का  समय क्योकि इस भारत में इस गर्मी में शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे किसी ठंडी जगह घूमने का मन ना करता हो। कभी कभी ऐसा भी होता है की घूमने के लिए जाते वक्त आप ऐसी कई चीज़े भूल जाते है जो की आपके लिए बहुत जरुरी होती है जिनमे आपका पहचान पत्र , कुछ जरुरी वस्तुए जैसे  की गरम कपड़े  , ठन्डे कपडे, मोबाइल चार्जर एवं ऐसी बहुत चीज़े है जिनका आपको हमेशा ध्यान नहीं होता, कुछ लोग तो कभी कभी अपना टूथ ब्रश तक भूल जाते है। तो इन्ही सारी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए आपके लिए ये ब्लॉग मैं लिख।






हमेशा ट्रैन में सफर करते वक्त आप ध्यान  रखे की आप ठंडी पानी की बोतल रखे यदि लोग ज़्यादा है तो आप एक छोटी वाटर बोतल भी रख सकते है।  गर्मी में ऐसा कई यात्रियों के साथ हुआ है की वो स्टेशन में पानि भरने उतरे और उनका सामन गायब हुआ या फिर उनकी ट्रैन छूट गई। कभी कभी ऐसा भी होता है की यात्री जल्दी जल्दी में अपना पहचान पत्र लेना भूल जाता जाता है जिसका खामियाजा उसे टिकट चेकर को फाइन पटा कर भुगतना। सबसे जरूरति चीज़ जो आपको अपने पास रखनी होती वो है ट्रेवल फर्स्ट ऐड किट। मतलब यह की घूमने समय अगर कोई अनहोनी हो गई हो या आपके साथी या जो आपके साथ घूम रहे हो अगर उन्हें चोट लग गई तो यही किट है जो आपके सबसे  आएगी।


  घूमने निकलते  वक़्त जिस तरह आप उस जगह पर  कपड़े  पहनना चाहते  है जरुरी है की वे  कपड़े आपके लिए वहां सही साबित होंगे। तो अगर आप चाहते है की आप अपने कपड़ो को आराम से पहन सके और घूम सके तो सबसे पहले जिस जगह पर आप घूमने जा रहे है उस जगह के तापमान का ध्यान कर ले उसके बाद ही उस हिसाब से सही कपड़ो का चुनाव करिए । कई बार ऐसा होता है की आप किसी गरम जगह जाते है और कपड़े भी आप ऐसे लेकर जाते है जो की गरम है। यदि आप कश्मीर जा रहे है तो आप हमेश गरम कपड़े लेकर जाए। यदि आप केरल के तरफ जा रहे है तो थोड़े पतले या हल्के कपड़े लेकर जाए ताकि उस जगह के हिसाब से आप के कपड़े आपके शरीर को आराम दे। यदि आपने कपड़े ही ऐसे चुने जो उस जगह के हिसाब से नहीं है तो आपका घूमना और मौज करना व्यर्थ होगा।





सबसे ज्यादा यदि हम घूमने के समय किसी चीज़ से परेशान होते है तो वह है सामान। सामान हमेशा उतना ही लें जितना आप के हिसाब से आपकी जरूरत का हो। भारत मे खास कर के औरतें घूमने के लिए इतनी उतावली होती है की वह अपने सामान से सूटकेस को इतना भर लेती है की उसे उठाते उठाते आदमी ही परेशान हो जाता है और होता ये है की छुट्टियाँ मानते वक्त भी चिढ़चिढाने और गुस्सा करने की वजह से वह उतना मज़ा नहीं उठा पाता। तो सामान उतना ही ले जितना आपके काम का हो। हो सके तो छोटे हैंड बैग जरूर ले जो की आप आसानी से अपनी पीठ पर टांग सकेंगे और चक्के वाली ट्रॉली अगर हो तो आप आराम से अपने सामान को संभाल सकते है।

अपना कमेरा और कैमरे का चार्जर याद से रखे ताकि आप वह तस्वीर ले सके जो की आपके गोल्डेन मेमोरी  में आप हमेशा रखना चाहते हों। आजकल कैमेरे का शौक लोगों में बहुत देखने को मिल रहा है। पर जब तक आपको कैमरा ठीक से चलना नहीं आता तब तक उसे लेने का कोई मतलब नहीं बनता खासकर ऐसा कई बार देखने को मिलता है की लोग अपनी बहुलमूल्य वस्तुए जैसे की कैमरा, मोबाइल, घड़ी, सोना आदि खो कर आते है । यदि इन चीजों का उपयोग आपको नहीं है तो ये चिज़े लेजाने से बचे। आप जहा भी जाए हो सके तो वहाँ किसी लोकल नागरिक से पहचान रखे ताकि उस जगह की भाषा से आपको तकलीफ ना हों।

कभी भी घूमते वक्त उन चीजों पर आकर्षित मत होइए जो आपकी जरूरत की वस्तु नहीं या उस वस्तु को किसी को दिया न जा सके, कई बार घूमते वक्त हम ऐसा ही कर बैठते है जिससे की हमारा पैसे का नुकसान तो होता ही है साथ ही उस चीज़ की कोई वैल्यू भी नई रेह जाती। यदि आपने ऐसी वस्तु आकर्षित होकर लेली जो आपके काम की नहीं मान लीजिये कपड़े या शौल की बात क्यू ना करे जिसे आप ले तो लेते है और वह घर पर आकार यू ही रखे रहती है तो उसका कोई मतलब नहीं बनता वह सीधा सीधा नुकसान है।

घूमते वक़्त कभी भी अपना पर्स पीछे वाले जेब में ना रखे। हमेशा या तो आगे की जेब में रखे या फिर थोड़े पैसे जेब में रख कर पर्स अपने पीठ वाले बैग में रखे। हमेशा अपने साथ उतने ही पैसे रखे जीतने आपकी जरूरत के हो या यात्रा करते वक़्त जो सबसे अच्छी चीज़ आपके काम आती है वह है ATM। एटीएम रख कर आप कभी भी पैसे निकाल सकते है ।

यदि आप लंबा सफर कर रहें हो तो खाने पीने का ध्यान अवश्य ही रखे। लंबे सफर के लिए घर से कुछ ऐसे व्यंजन लीजिये जो की लंबे समय तक चले ताके आपको बाहर का खाना ना पड़े बहुत बार ऐसा देखा गया है घूमते समय लोग बाहर का खाकर लोग बीमार पड़ जाते है और उन्हे आधे रास्ते से ही वापस आना पड़ता है जो की बहुत निराशाजनक होता है  इससे होता यह भी है की जो लोग आपके साथ छुट्टियाँ मनाने आयें है या आपके साथ है उन्हें भी बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। होटेलों और रैस्टौरेंट का चुनाव हमेशा ही अच्छे तरीके से करे, कभी कभी आपके टैक्सी वाले या टेम्पो ट्रावेल्लर वाले आपको वो जगह ले जाते है जहा उनकी कमीशन बंधी होता है, सो कोशिश कीजिये की आप ऐसी जगह बिलकुल भी जाए जहा आपको अच्छी सुविधा न मिले फिर चाहे वो कोई 5 सितारा होटल ही क्यों न हो।

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