आमेर का किला एक छोटे से शहर आमेर जो की लगभग 4 हजार किलोमीटर के दाएरे मे है जो की जयपुर से लगभग 11 किलोंटर की दूरी पर है । पहाड़ पर इस किले की जयपुर के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान है और यहा आने वाले सैलानियों के लिए एक अलग ही आकर्षण है । आमेर शहर मीनास समुदाय के लोगों द्वारा बनाया गया था जो की बाद में राजा मान सिंह के राज्य में तब्दील हुआ। आमेर किले की बाहरी और अंदरूनी बनावट हिन्दू कला का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है । यहा आने के लिए अनेक द्वार एवं रास्ते है । आमेर का किला पानी के लिए मुख्य रूप से माओता झील पर निर्भर है।
यदि आप यहाँ घूमने जाए तो किले की दीवारों में आपको बढ़िया कारीगरी दिखेगी जो की लाल चुने के पत्थरों से बनाई गई है । कई जगह आपको चुने के पत्थरों के साथ संगमरमर की मीनारें भी देखने को मिलेगी । यह किला 4 मालों में बना है। यहा पर दीवान ए आम एक बड़ा सा कमरा जो की भवन के बराबर है, आम जनता की नुमाइशों और गुज़ारिशों के लिए बनाया गया था जहा राजा से जनता अपनी फरियादें पूरी करने आते थे। यहा दीवान ए खास जो की कुछ करीबी लोगों के लिए बनवाए गए थे... ऐसे ही शीशा महल, सुख निवास जहा पर ठंडी हवा आने के लिए इसके दोनों तरफ पनि के दो तालाब बनवाए गए थे। आमेर के किले को आमेर के महल से भी जाना जाता है। यह महल राजपूत महाराजाओं और उनके शाही परिवारों के रहने के लिए बनवाया गया था । यदि आप इसके गणेश द्वार जो की मुख्य द्वार है , से अंदर आयें तो आपको सिला देवी का मंदिर दिखेगा, यह मंदिर उन्होने तब बनवाया था जब उन्होने जेस्सोर के राजा को हराया था। जेस्सोर अभी बांग्लादेश में है ।
यह महल जायगढ़ के किले के साथ चील के टीले के ठीक ऊपर है । यह महल और जायगढ़ का किला एक ही परिसर मे आते है । दोनों एक दूसरे से भूमिगत जुड़े हुए है। यह इसलिए बनवाया गया था ताकि खतरे के समय परिवार के लोग आमेर के महल से जाइगढ़ के किले पर रक्षात्मक रूप से जा सके ।
कछवाहा समूह से पहले आमेर एक छोटा सा शहर था जो की अम्बे माता के लिए बनवाया गया था। अम्बे माता जिनको कछवाहा के लोग गट्टा रानी के नाम से जानते थे। यह महल राजा मान सिंह के द्वारा बनवाया गया था और महल जैसा बनवाया गया था आज भी वैसे ही अपने मजबूत दीवारों पर खड़ा है। यह महल मुख्या रूप से राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था जिसे की बाद में उनके वंशज राजा जय सिंह 1 द्वारा विकसित करवाया और विस्तार से महल के क्षेत्रों को बढ़ाया गया । उसके बाद इस महल को बाद के राजाओं ने और अच्छी तरह से बनवाया और उसके बाद कछवाहा समूह के लोगों ने जयपुर की तरफ पलायन करना चालू कर दिया।
आमेर का शहर जो की एक प्राचीन शहर है, आमेर किले की तरफ जाने के लिए आपको आमेर शहर से गुज़र कर ही जाना होगा। इस शहर में 18 बड़े मंदिर, 3 जैन मंदिर और 3 मस्जिद है । आमेर में 100 से ज्यादा हाथी है जिनमे से कुछ कुपोषण के कारण संघर्ष कर रहें है। आमेर डेव्लपमेंट एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी ने आमेर पैलेस के लिए 40 करोड़ भी जुटाएँ है जिसे की यहा के पर्यावरण की रक्षा के लिए खर्च किया जा रहा है। एक बार तो यहा पर एक फिल्म की शूटिंग भी रुकवाई जा चुकी है क्योकि शूटिंग के लिए यहा पर एक 500 साल पुरानी कलाकृति जो की चुने पत्थर से बनी हुई थी उसमे छेद कर दिया गया था जिससे की पूरी कलाकृति नष्ट हो गई । हाइ कोर्ट को इस नुकसान के लिए बीच में आना पड़ा और कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी भाषा में समझाइश देते हुए कहा की आप पैसे की लालच में अन्य अंधे होकर इस तरह से इतिहास को तबाह ना करें।
कुछ लोगों ने यहाँ पर हाथियों के बचाव के लिए भी संगठन बनाया है जो की हाथियों को ठीक तरह से रहने में मदद कर रहे है। यहाँ पर एक गांव हाथी गांव के नाम से जाना जाता है जहां पर बीमार, बूढ़े और चोटिल हाथियों को के रख रखाव के लिए PETA आर्गेनाइजेशन काम कर रहा है खैर भारत ऐसे और भी अनेक इतिहास आज ज़िंदा है जिनको जानकार आप आश्चर्य चकित हो सकते है। मेरा यह मानना है की भारत के लोग अगर पहले भारत के बारे में जाने और पहले भारत घूमे तो शायद यहाँ के पर्यटन को दुनिया में एक अलग ही जगह मिल सकती है। यह हो सकता है की बहुत सी चीज़े मैं आपको ना बता पाउ, घूमिये इस महल को और महसूस कीजिये इतिहास को जो की भारत का गौरव और भी बढ़ता है।
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