बुधवार, 27 अप्रैल 2016

BHANGARH FORT : KNOW WHAT'S IN BHANGARH FORT THAT MAKES IT HAUNTED

                                       आप में से कितने लोग भूतों पर विश्वास करते है? क्या वो वाकई में होते है ? क्या उन्हें महसूस किया जा सकता है?? जो इन चीज़ो में विश्वास  हो शायद उनके लिए ये साधारण बात हो पर जो भूतों में विश्वास नहीं रखे शायद उनके लिए ये मानना बहुत ही मुश्किल हो।  भानगढ़ दिल्ली से लगभग 300 km की दुरी पर है। फिर भी यदि आप यहाँ के लिए सूबे निकले तो शायद दोपहर तक पहुचें।  आपको यहाँ  पहुंचते ही एक बोर्ड दिखाई देगा जिसमे लिखा है की यहाँ सूर्यास्त के बाद प्रवेश करना सख्त मना है।  गुडगाँव को पार करने के बाद भिवाड़ी के आगे राजस्थान का एक जिला है अलवार।





                                        भानगढ़ किला सरिस्का रिज़र्व की सिमा अरावली रेंज के अलवर जिले में बसा हुआ है।  इसके सबसे नज़दीक गांव गोलाकाबास है।  पुरे किले के चारो तरफ आप पेड़ और पौधे देखेंगे, कुछ छोटे छोटे तालाब भी आपको यहाँ पर आसानी से दिख जाएंगे।  इस किले का पहुंच मार्ग भी पक्का नहीं है।  यहाँ आने के लिए अनेक दरवाज़ें है  जैसे की लाहोरी गेट, अजमेरी गेट, फुलबारी गेट, दिल्ली गेट, यहाँ मुख्य द्वार से घुसते ही अनेक हिन्दू मंदिर को देखा जा सकता है जैसे की हनुमान जी का मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गणेश जी का मंदिर , केशव राय का मंदिर। यहाँ पर एक  संत की भी हवेली हुआ करती थी जो की पुरोहित जी की हवेली के नाम से भी जानी जाती है। यहाँ पर नचन की हवेली (Dancer 's Palace) और जौहरी बाजार (Market  Place ) भी आपको देखने को मिलेगी। 

                                       यह किला 17 सेंचुरी में राजा मान सिंह के द्वारा बनाया गया था।  राजा अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्होंने यह किला अपने पोते माधो सिंह के लिए  था।  माधो सिंह ने इस किले का नाम अपने दादा मान सिंह के ऊपर रखा।  भानगढ़ किले के आस पास एक अजीब सी तन्हाई है। आप अगर वह जाए तो आपको कुछ अलग सा महसूस होगा।  भूतों के दर से लोगो ने अपने घर किले की सिमा रेखा से बाहर बन रखा है।  आप अगर यहाँ जाएँ तो आपको आसानी से गॉव वाले मिलेंगे जो आपको इस किले के बारे में बताएंगे।

                                        भानगढ़ किले से दो ऐसे शख्सियत  जुड़े है जो की इसे डरावना बनाते है । एक शख्सियत जो की एक साधू है जिंका नाम बाबा बलनाथ है जो की किले के अंतर्गत ही कहीं रहते थे । कहा जाता है की इन्हीं ने भानगढ़ को श्राप दिया था की यहाँ जो भी घर उसके घर से बड़ा होगा या जिसकी परचई  मेरे घर पर पड़ेगी वह बर्बाद हो जाएगा। हो सकता है यही कारण हो जिससे की भानगढ़ आज एक श्रापित किला है।

                                         वहीं कई लोग  इसके दूसरे दावे भी करते है।  दूसरे शख्सियत जो भानगढ़ इस हालत के जिम्मेंदार हो सकते है वो है एक तांत्रिक जो भानगढ़ की रानी रत्नावती से प्रेम करते थे।  भानगढ़ की रानी बहुत  खूबसूरत थी,  दूसरे  कई राज्यों के राजा उनसे विवाह करने के लिए हमेशा महल अपना  प्रस्ताव लेकर आया करते थे।  एक बार रानी रत्नावती अपनी किशोरावस्था में अपनी कुछ सहेलियों के साथ मेले में गई,  उन्हें इत्र बड़ा ही पसंद आया तांत्रिक ने रानी को इत्र लेते हुए देखा तो उस इत्र को अपने काले जादू से बदलकर एक जादुई इत्र बना दिया जिससे की रानी उसकी तरफ जाये। परन्तु हुआ  यह की रानी ने तांत्रिक को इत्र को बदलते हुए देख लिया और जब तांत्रिक ने उसे इस्तेमाल करने को कहा रानी ने वह इत्र एक बड़े पत्थर पर फ़ेंक दिया, जिससे हुआ ये की पत्थर तांत्रिक के तरफ आकर्षित हो गया और तांत्रिक उसके निचे दब कर मर गया। मरने से पहले तांत्रिक ने भानगढ़ को श्राप दिया की भानगढ़ नष्ट हो जाएगा और यहाँ कोई भी जीवित नहीं बच पाएगा और उसके कुछ ही समय बाद भानगढ़ में कोई भी नहीं बचा और शायद ये भी हो सकता है की  श्राप के वजह से ही भानगढ़ में आत्मा भटकती हो। 

                                 गांव वालो का मानना है की तांत्रिक और रानी की आत्मा आज भी भानगढ़ के किले में भटकती है। कुछ गांव वालो ने यह भी बताया की उन्हें रात के समय किले से कुछ आवाज़ें सुनाई देती है।  कुछ का यह भी मानना है की रानी की आत्मा को तांत्रिक ने कैद करके रखा है।खैर यहाँ जो भी हो उसे महसूस के  लिए आपको यहाँ पर आना पड़ेगा।  एक बार जरूर जाइये और घूमिये एक भूतिया किले में। 














कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें